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REWA MP:परशुराम आश्रम को गिरवाने वाले विधायक नागेंद्र सिंह का भी अतिक्रमण हटाया जाए- शिवानंद द्विवेदी

REWA MP:परशुराम आश्रम को गिरवाने वाले विधायक नागेंद्र सिंह का भी अतिक्रमण हटाया जाए- शिवानंद द्विवेदी

 

 

 

 

 

 

नाकाम निगम आयुक्त संजय सौरभ सोनवड़े को तत्काल रीवा से हटाया जाए।नगर निगम क्षेत्र में आई बाढ़ का मुख्य जिम्मेदार है नगर निगम आयुक्त

रीवा.सामजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने आरोप लगाते हुए कहा कि रीवा जिले मे अराजकता हावी होती जा रही है आम नागरिकों के घर और प्रतिष्ठान में बुलडोजर चल रहे है और नेता विधायकों तथा रसूखदारों को अतिक्रमण की खुली छूट दी गई है, नियमों की अवहेलना कर नदी नालों के किनारे अतिक्रमण लगातार बढ़ रहे है जो बाढ़ की प्रमुख वजह माना जा रहा है, आखिर जिम्मेदार इस तरह का दोहरा चरित्र क्यों अख्तियार कर रहे है यह एक अहम सवाल है, जो पावर मे हैं वह कानून कायदों को ताक पर रखकर कुछ भी कर ले और आम गरीब व्यक्ति के साथ दमन किया जाय, ये कहाँ का नियम है और किस संविधान मे लिखा है, अगर यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब जनता स्वयं कानून कायदों को दरकिनार करके अपने अधिकार और अस्तित्व के लिए सड़कों पर उतर आयेगी तथा अपना हक और अधिकार छीनने जिम्मेदारों और भ्रष्ट नेताओं की इनकी ईंट से ईंट बजाना शुरू कर देगी, क्योंकि गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह का झिरिया में बना होटल और बीहर नदी के तट के किनारे बना आवास बाढ़ का मुख्य कारण है, लगातार नदी के तट को कम करके उसमे कब्जा किया जा रहा है, इस लिए इनके अवैध और प्रतिबंधित क्षेत्र मे किए गए निर्माण प्रशासन को तत्काल हटाना चाहिए, तथा इनके अवैध निर्माण में बुलडोजर चलना चाहिए, ये सच है कि बाढ़ के लिए जितना जिम्मेदार शासन प्रशासन को आम जनता नहीं मानती है उससे कंही अधिक जिम्मेदार ये कुछ भ्रष्ट सत्ताधारी नेता विधायक हैं।

 

 

 

 

 

एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बताया कि वर्तमान मे रीवा शहर में भीषण बाढ़ के चलते हालात खराब हो गए। बाढ़ की वजह से आम व्यक्तियों का जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। इस समस्या का अंदाजा पिछले हफ्ते सोशल मीडिया मे एक पोस्ट करके मेरे द्वारा लगा लिया गया था और आगाह किया गया था कि शहर मुख्यालय जहां कमिश्नर एवं जिला अभियोजन कार्यालय रीवा है वहीं पास स्थित ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा में थोड़ी सी बारिश के चलते जल भराव की स्थिति निर्मित हो गई और इस जलभराव के वीडियो से सोशल मीडिया में पोस्ट कर प्रशासन को सचेत करने का प्रयास किया गया था परंतु किसी ने ध्यान नहीं दिया।

 

 

 

 

 

बाढ़ जैसे हालात के लिए नगर निगम आयुक्त सौरभ सोनवड़े और जन प्रतिनिधि जिम्मेदार है

रीवा में बाढ़ से निपटने के लिए पूर्व से कोई प्रयास नहीं किए गए जिसका नतीजा यह हुआ की पूरा शहर बीहर बिछिया नदी नालों के पानी में डूब गया। पिछले कुछ समय से अवैध अतिक्रमण को मुक्त किए जाने के नाम से बिल्डर माफिया और भूमाफिया मौज काट रहे है, जबकि आम और गरीब नागरिकों के आशियाने को नगर निगम आयुक्त सोनवड़े एवं जिला प्रशासन द्वारा उजाड़ा गया। एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बड़ा सवाल उठाया है कि जब ऐसे अतिक्रमण वाले स्थलों का चयन किया जा रहा था तो इन नेताओं रसूखदारों और भूमाफियाओं के नाम को क्यों नहीं सम्मिलित किया गया..?

 

 

 

 

 

 

शिवानंद द्विवेदी ने नगर निगम आयुक्त सौरभ सोनवडे पर आरोप लगाते हुए कहा है की इनका कार्य राजनीतिक दवाब में होता है जहां कमजोर लोगों को बलि का बकरा बनाया गया है, नहीं रसूखदारों और बड़े राजनीतिक दलों के साथ सरकार से जुड़े इन भ्रष्टाचारियो पर अतिक्रमण संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की गई।

 

 

 

 

 

 

विधायक नागेंद्र सिंह के समस्त अवैध निर्माणों की जांच, कराकर किए गए अतिक्रमण को इनसे मुक्त कराया जाय।

एक्टिविस्ट श्री द्विवेदी ने कहा कि विधायक नागेंद्र सिंह का बीहर नदी स्थित आवास स्वयं ही एनजीटी के नियमों का उल्लंघन है। यह आवास नदी साइड से मात्र 50 मीटर के दायरे में बनाया गया है। इसी प्रकार इनके अन्य निर्माण भी हैं जो एनजीटी और शासन के नियमों की घोर अवहेलना करते हैं। झिरिया स्थित इनका महाराजा होटल और स्नेह होटल, भी झिरिया नाले पर अवैध अतिक्रमण करते हुए बनाया गया है जो एनजीटी और नदी नालों पर शासन के नियमों के विपरीत है। जब कार्यवाही का दौर आता है तो प्रशासन सत्ताधारी पार्टी के दवाब में कार्य करता है। ऐसे रसूखदार नेताओं के अवैध निर्माण को पूरी तरह नजर अंदाज कर दिया जाता है और उल्टा उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता है।

 

 

 

 

 

 

बीहर बिछिया नदी और झिरिया नाले के आसपास के समस्त निर्माणों की होनी चाहिए जांच।

एक्टिविस्ट श्री द्विवेदी ने कहा की नगर निगम आयुक्त और जिला प्रशासन की उदासीनता से रसूखदारों के हौसले बुलंद हैं। शासन प्रशासन मात्र गरीबों के लिए शेर है। चाहे वह रतहरा तालाब बस्ती से हटाए जाने की बात रही हो या फिर पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेज के पास स्थित बस्ती का, यहां मात्र गरीबों को डरा धमका कर भगा दिया जाता है, और बुलडोजर चलवा दिया जाता है लेकिन बड़े माफियाओं और सत्ताधारी पार्टी से जुड़े नेताओं विधायकों के अवैध निर्माण इन अधिकारियों को दिखाई नही देते। इसमें नगर निगम आयुक्त सोनवडे और जिला प्रशासन रीवा की असफलता स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है।

 

 

 

 

 

 

यदि परशुराम आश्रम अतिक्रमण था तो इन विधायकों और नेताओं का निर्माण अवैध क्यों नहीं..?

श्री द्विवेदी ने कहा कि अतिक्रमण सभी एक जैसे ही होते हैं चाहे वह आम नागरिकों द्वारा किया गया हो अथवा रसूखदार नेताओं द्वारा किए गए बड़े बड़े अतिक्रमण और अवैध कब्जे हो, सभी अवैध निर्माणों पर एक जैसी कार्यवाही होनी चाहिए, आम नागरिक के लिए अलग नियम और खास के लिए अलग यह स्पष्ट तौर पर देश में डबल स्टैंडर्ड कानून को दर्शाता है। पिछले कुछ वर्ष पहले यही विधायक नागेंद्र सिंह द्वारा प्रमुख सचिव म.प्र. शासन को पत्र लिखकर इटौरा बायपास के पास स्थित परशुराम आश्रम को ध्वस्त किए जाने के लिए लेख किया था, जिसकी शिकायत के आधार पर परशुराम आश्रम को अवैध निर्माण बताकर ध्वस्त किया गया था। यह परशुराम आश्रम मात्र एक आश्रम नही था बल्कि इससे कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई थीं जो काफी आहत हुई हैं। ध्वस्त आश्रम के सामने चित्रकूट के संतों ने आकर धरना तक दिया था। लेकिन जो भी हो यदि आश्रम को अवैध घोषित कर ध्वस्त किया गया तो फिर इन विधायकों नेताओं और रसूखदारों के अवैध निर्माण को क्यों ध्वस्त नही किया गया..?

 

 

 

 

 

 

आखिर रीवा शहर की जनता कब तब इन भूमाफियाओं और सत्ताधारी रसूखदारो के कारण बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलती रहेगी। शिवानंद द्विवेदी ने आम जनता से माग की है की एक देश एक कानून के तहत अब जनता को ऐसे नेताओं और माफियाओं के खिलाफ सड़क पर आ जाना चाहिए और पूरी ताकत से अवैध निर्माण और अतिक्रमण को मुक्त कराने की लड़ाई लड़नी चाहिए।

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